hits

Sunday, March 2, 2014

OSCAR का तिरस्कार

अभी सुबह के सिर्फ 11 ही बजे थे कि हमारा Lenovo smartphone घनघना उठा। एक बचपन के मित्र थे दूसरी तरफ जो शायद रोज की तरह वैश्विक घटनाओ पर गहन चर्चा और अपने विचार जबरन सब पर थोपने के आदत से मजबूर होकर अक्सर हमारा नंबर घुमा देते है। अब उनकी भी गलती नही है साहब, कम्पनी की तरफ से मिले मुफ्त के फोन, फ्री टाकटाइम और असीम सियापा कही न कही तो invest करना ही है। लेकिन मै ही क्यों?

"अबे सो रहे हो क्या बे? उठो साले, यहा दुनिया मे क्या क्या हो रहा है और तुम हो कि चादर तान कर पसरे हुए हो अब तक।" मेरे 'हेलौ' बोलने से पहले ही वो शुरू हो गये।

"हुआ क्या बे?" हमे भी फिक्र होने लगी की ऐसा क्या हो गया जो ये इत्ते सदमे मे मरे जा रहे हैं। कही संजना की शादी तो तय नही हो गयी? अब भले उसे याद भी न हो कि हम कभी उसके साथ पढा भी करते थे, पर हम बेवफा कैसे हो सकते है। हमारा प्यार तो सच्चा है, एकतरफा ही सही।

"अबे वो लिडिनियो कैप्री को आस्कर नही मिला बे। सुना है फिक्स है सब। किसी पर भरोसा नही कर सकते है दोस्त।" वो कुछ इस अन्दाज मे बोला जैसे वो खुद अपने IASके आखिरी attempt मे भी फेल हो गया हो।

"अब ये कैप्री कौन है बे?" मै अपनी आवाज की झुझलाहट को रोक नही सका। हलांकि इस बात का सुकून था की उनकी शादी फिक्स नही हुइ अब तक।

"अरे तू उसे नहीं जानता, क्या बे?" वो हमारे फ़िल्मी ज्ञान को धत्ता बताते हुए बोला "अरे अपने टाइटैनिक वाला हीरो। हद्द है भाई।"

"अबे टाइटैनिक वाले का नाम तो शायद Leonardo De Caprio था, ये कही ऑस्कर न मिलने के सदमे से तो नाम नहीं बदल लिया?" हमने भी चुटकी ली।

"अबे हां हां, जो भी हो, नाम में क्या रखा है। वो तो थोडा slip of tongue हो गया था।" अपनी झुंझलाहट को वो भी न रोक सका।

"बहुत slip of tongue हो रहा है बेटा आजकल, बेनी प्रसाद वर्मा के फेन हो गए हो क्या बे?" मैंने फिर एक व्यंग-बाण छोड़ा।

"अबे मजाक नहीं बे, सही में। झूठ नहीं बोल रहे है, न्यूज़ देखो।" वो शायद सचमुच सदमे में था। इत्ते सदमे में तो शायद लिओनार्डो बाबू भी नहीं होंगे।

"T.V. नहीं है बे मेरे पास, और अख़बार मैंने पढ़ा नहीं अब तक" अब मै भी मजे लेने के मूड में आ गया था।

"अबे तो स्मार्टफोन तो है, उसपर तो सब पता चल जाता है" बन्दे ने अपना SHERLOCK HOLMES वाला दिमाग लगा ही दिया।

"अबे कहे का स्मार्टफोन? इतना ही SMART होता तो तेरे फ़ोन आने से पहले ही स्विच ऑफ न हो जाता?" हमने अपने मन में खुद से कहा।

"अबे बोलती क्यों बंद हो गयी?"

"हां सुन रहा हु मै।"

"सब फिक्स है साला? इस बार भी धोखा हुआ है बह@#द!"

"तुम्हे कैसे पता चला बे कि फिक्स है? EDWARD SNOWDEN ने इ-मेल किया था या केजरीवाल के खुलासे में बताया गया है।"

"मजाक नहीं है बे, सच्ची, सब यही बोल रहे है कि फिक्स है।"

"वैसे कौन सी मूवी के लिए नॉमिनेट हुआ था बे ये तेरा CAPRI?"

"कोई THE WOLF OF WALL STREET करके पिक्चर थी। धांसू एक्टिंग किया है साले ने, फिर भी पता नहीं क्यों नहीं मिला ऑस्कर?"

"अच्छा। कैसी पिक्चर है ये? देखि नहीं मैंने अभी तक?"

"देखी तो मैंने भी नहीं है बे, ये साले torrent वाले है न, अब तक अच्छी प्रिंट में नहीं दिए साले कामचोर।"

"फिर तुझे कैसे पता चला कि अच्छी एक्टिंग की है?" मुझे अपना सर दिवार पर मारने का मन कर रहा था, पर फिर 'अपनी बेवकूफी को कैसे जस्टिफाई करूँगा' सोचकर विचार त्याग दिया।

"अबे सब बोल रहे है तो अच्छा ही किया होगा, टाइटैनिक में तो देखा ही होगा तूने, मस्त एक्टिंग किया था न।" वो बड़ी मासूमियत से अपना हर पॉइंट ऑफ़ व्यू मजबूती से मनवाता गया।

अभी मेरा मुह खुलना ही था की वो शुरू हो गया "अच्छा कल का मैच देखा?"...... And the rest you may imagine.

----
Almost Engineer's Blog

I AM BACK: BAKKCHODI RELOADED

बहुत दिनों बाद आये है इन गलियों में, थोडा अजीब लग रहा है. वैसे अजीब लगना वाजिब भी है, अपने ही गांव में 1 साल बाद जाता हूँ तो लोग ऐसे behave करने लगते है जैसे अभी अभी MARS से आया हूँ. ये तो फिर भी इंटरनेट कि दुनिया है. यहाँ तो रिश्ते भी 3G कि गति से बदल जाते है, पहचान के तो फिर क्या कहने?

खैर, हिंदी में लिखने कि कोशिश कर रहा हु कि थोडा देशी नज़र आऊं, बाकि तो सब अंग्रेजी ही हो गया है. उम्मीद का तो पता नहीं पर तमन्ना यही है कि आप लोग मुझे भूले नहीं होंगे. अरे यार, मै भी कहा आपको याद दिल रहा हु, आप तो तमन्ना को भी भूल गए होंगे. अरे वही, अपने विराट बाबू वाली, आइटम (मेरा मतलब... खैर छोड़िये, आप तो स्वयं ही समझदार है). वैसे भी आजकल तो चहु-ओर या तो मोदी छायें है या उनके विरोधी. वैसे अपने केजरीवाल बाबू भी कम नहीं है. अक्सर कहते फिर रहे है कि मोदी कि लीला खास है, बाकि सब फर्स्ट क्लास है.

अरे कहा आप लोग भी न. बड़े वो हो, अब बताओ भला, इत्ते दिनों बाद आये है इंटरनेट पर और आप हो कि न चाय, न दूध, सीधे चर्चा शुरू कर दिए. आप भी झूठ बोल रहे है और हमसे भी बुलवा रहे है सो अलग. हाँ नहीं तो. अब हम सलमान खान तो है नहीं कि आपसे हक़ जताते हुए पूछ ले कि "स्वागत नहीं करोगे हमारा?" कही आपने मना कर दिया तो जो बे-इज्जती-अफजाई होगी सो अलग.

बड़ा शोर है आजकल पॉलिटिक्स का, हर कोई आजकल अपने अपने राज्य के मॉडल का लोहा मनवाने में लगे है. अब चाहे वो अपने गुजरात के भाइयो-एवं-बहनो वाले भैया हो या नीर-उत्तर प्रदेश के कलेश बाबू (अरे अपने अखिलेश बाबू कि बात कर रहे है, अब नाम बदलने से काम थोड़े ही बदल जाता है, काम तो उनका यही है. अमा काम न हुआ FAMILY BUSINESS हो गया, पहले पापा टोपी पहनते थे अब बेटे को हुनर सिखा रहे है.). हाँ तो बात लोहे कि हो रहे थी, तो अपने गुजराती धुरंधर ने तो सुना है पटेल साहब कि मूर्ति बनवाने कि ठान ली है, वो भी दुनिया कि सबहि से बड़हन. ये भी अच्छा है, अभी तक कोई ढंग कि मूर्ति नहीं बनी है. और बनी है तो या तो वो यूपी वाले आंटी जी ने बनवायी है या मुहबोले गांधी परिवार ने. वैसे देखा जाये तो जरुरत नहीं थी हमारे देश में किसी मूर्ति कि, हमारे प्रधानमंत्री जी किसी से कम है क्या?

अब और मुह न खुलवाओ, कही कुछ गलत सलत लिख दिये तो हमारी सल्तनत पर नॉएडा पुलिस कि लाठियों के वार सहन नहीं कर पाएंगे. नेताजी और उनके सुपुत्र का राज है भैया, बच के रहने में ही भलाई है. अंग्रेजी में एक कहावत है कि PREVENTION IS BETTER THAN CURE. अपनी सुरक्षा अपने हाथ. पिट-पुटा गए तो अपनी ही बे-इज्जति होगी, क्यूंकि उनको तो इज्जत कि फिकर है नहीं.

बहरहाल, एक ताज़ा खबर है, इश्क़ हो गया है शायद. अबे हसो नहीं बे, इस बार सच्चा वाला हुआ है, सच्ची, तेरी कसम. अभी बताये नहीं है उनको, एक तरफ़ा प्यार है, इसीलिए ज्यादा टाइम देना पड़ता है. उनके बदले भी तो प्यार करना है. नाम नहीं बताएँगे उनका. वो सीक्रेट वाला है प्यार है. अभी तुमको बता दिया तो साला उनको छोड़ कर सबको पता चल जायेगा. हमारा तो वही हाल हो जायेगा कि खाया पिया कुछ नहीं, गिलास तोडा बारह आना.

खैर..छोडो इन बातो को, अब आ ही गए है तो मिलते रहेंगे... राम राम. OOPS हम तो कम्युनल कि तरह बतिया रहे है.

चलो आज फिर सेक्युलर हो जाते है,
थोडा हिंदुओं को भी गरिया लेते है,
थोडा MINORITY को बहला लेते है.
चलो आज फिर सेक्युलर हो जाते है,



PS: This post is not intended to hurt any person, any community or any organization. But if you still get offended by it, here is set of words for you… F#@K YOU.

About Me

Bhopal. Delhi. Mumbai., India
A grammatically challenged blogger. Typos are integral part of blogs.